Wednesday, January 4, 2017

.... शर्मनाक घटना, शर्मनाक बयान : कब बदलेगी यह मानसिकता? ...- डॉ. शरद सिंह


Dr Sharad Singh
संदर्भ बेंगलुरु घटना :
" शर्मनाक घटना, शर्मनाक बयान : कब बदलेगी यह मानसिकता? " - मेरे कॉलम चर्चा प्लस में "दैनिक सागर दिनकर" में ( 04.01. 2017) .....My Column Charcha Plus in "Sagar Dinkar" news paper
चर्चा प्लस
शर्मनाक घटना, शर्मनाक बयान : कब बदलेगी यह मानसिकता?
- डॉ. शरद सिंह

तारीखें बदल जाएं, शहर बदल जाएं या अवसर बदल जाएं लेकिन लगता है कि कुछ विकृत लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी। बेंगलुरु में नए साल के समारोह के दौरान जिस तरह की अभद्रता महिलाओं के साथ की गई है वह सकल समाज को शर्मसार कर देने वाली है। इसे एक और हमला ही कहा जाएगा आधी दुनिया पर। क्योंकि एक तो यह घटना लज्जित करने वाली और उस पर मंत्री महोदय का बयान और भी लज्जित करने वाला। ये तो हद है कि महिलाओं के साथ बुरा हो और इसके लिए दोषी भी उन्हीं को ठहराया जाए। भला कब बदलेगी यह मानसिकता?

Charcha Plus Column of Dr Sharad Singh in "Sagar Dinkar" Daily News Paper

31 दिसंबर की रात बेंगलुरु के एमजी रोड और ब्रिगेड रोड पर नए साल का स्वागत करने के लिए हजारों लोग एकत्र थे। इनमें महिलाएं-बच्चे भी शामिल थे। सभी उत्साहित और खुश थे। उस रात के लिए न जाने कितने परिवारों ने कई सप्ताह पहले से सेलेब्रेशन की योजनाएं बनाई होंगी। रात को घर से बाहर सड़कों पर निकल कर जश्न मनाने में डर का कोई सवाल ही नहीं था क्यों कि पूरे इलाके में लगभग 1500 पुलिसवाले तैनात थे। लेकिन तब किसी को क्या पता था कि 31 दिसम्बर 2016 और 01 जनवरी 2017 की वह दरमियानी रात एक काली रात साबित होगी। वह भी कुछ वहशी लोगों के कारण। स्थानीय समाचारपत्र ’बेंगलुरु मिरर’ के अनुसार हर साल इस इलाके में हजारों लोग न्यू इयर सेलिब्रेशन के लिए जुटते हैं। यद्यपि पुलिस ने पहले दावा किया था कि इलाके में किसी भी घटना से निपटने के लिए उन्होंने पूरी व्यवस्था की है लेकिन ऐसा लगता है जैसे पुलिस ने बदमाशों की फितरत को कम कर के आंका था।उस वक्त सारी हदें पार हो गईं जब आधी रात कुछ बदमाश पार्टी में शामिल हुए और महिलाओं को जहां-तहां हाथ लगाने लगे, उन्हें मॉलेस्ट करने लगे। स्थिति यह हो गई कि सेलिब्रेशन में आईं महिलाएं अपनी सैंडल्स उतार कर मदद के लिए भागने लगीं। इस घटना का सबसे विवादास्पद पहलू यह है कि घटना की तस्वीरें और प्रत्यक्षदर्शी होने के बावजूद पुलिस ने तुरन्त बाद एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की। आश्चर्य की बात यह भी है कि शहर के डेप्युटी कमिशनर जिनके अधिकार क्षेत्र में ब्रिगेड रोड और एमजी रोड आता है, ने कहा कि महिलाओं ने पुलिस से मदद तो मांगी लेकिन वह इसलिए क्योंकि ये अपने परिवारवालों से अलग हो गईं थीं और उन्हें खोज नहीं पा रहीं थीं। यद्यपि सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मियों का कुछ और ही कहना है। चर्च स्ट्रीट पर तैनात एक महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि कुछ बदमाशों ने एक महिला को नशे में देख उसके कपड़े उतार दिए और उससे छेड़छाड़ की। पुलिस डिपार्टमेंट के मुताबिक एमजी रोड और ब्रिगेड रोड इलाके में करीब 1500 पुलिसकर्मी तैनात थे। महिला पुलिसकर्मी ने कहा, ’महिला को इस तरह की बेबस देखना बहुत परेशान करता है।’
देश के लगभग सभी मीडिया ने वह तस्वीर जारी की है जिसमें एक डरी हुई युवती एक पुलिसवाली से लिपट कर रो रही है। यानी उसे पुलिसकर्मियों पर भरोसा था। लेकिन अपराधियों की दबंगी के सामने पुलिसबल भी कभी-कभी असहाय साबित हो जाता है यदि सुरक्षा व्यवस्था करते समय किसी भी बड़ी संभावना को ध्यान में न रखा जाए। इसका प्रमाण उसी रात यानी 31 दिसम्बर की रात की उन घटनाओं में देखा जा सकता है जिसमें असामाजिक तत्वों ने न केवल महिलाओं की अस्मिता को तार-तार करने की कोशिश की वरन् पुलिसकर्मियों को भी हिंसा का शिकार बनाया। एक घटना में नई दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में न्यू ईयर का जश्न मनाने के दौरान हुड़दंगियों ने एक महिला को खींचने की कोशिश की। उन्होंने महिला को बचाने आई पुलिस पर भी हमला कर दिया। इस हमले में एक सबइंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। हुड़दंगियों ने पुलिस वैन के साथ भी तोड़फोड़ की। दूसरी घटना में शनिवार-रविवार की आधी रात बत्रा सिनेमा के पास काफी संख्या में युवक जश्न मना रहे थे। इसी दौरान शराब के नशे में कुछ लड़कों ने बाइक से जा रही युवती को खींचने की कोशिश की। वहां मौजूद पुलिस वालों ने रोका तो आरोपियों ने हमला कर दिया। हंगामा मचा रहे युवकों ने पुलिस जिप्सी के शीशे तोड़ दिए और वहां मौजूद पुलिस बीट में जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस ने सरकारी संपत्ति को नुकसान समेत, पुलिस पर हमला करने और छेड़छाड़ की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया।
लेकिन बेंगलुरु में तत्काल मामला दर्ज़ नहीं किया गया। जबकि स्थनीय समाचारपत्र ‘बेंगलुरु मिरर’ ने मदद की गुहार लगाती युवतियों और महिलाओं की तस्वीरें भी छापी हैं। जिनमें स्पष्ट दिख रहा था कि कई महिलाएं रो रही थीं और कई अपनी सैंडिल्स हाथ में लेकर इज्जत बचाने को दौड़ रही थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार इसी दौरान वहां भीड़ में शामिल हुड़दंगियों ने महिलाओं पर कथित रूप से भद्दे और अश्लील कमेंट करना शुरू कर दिया। कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि सड़क पर उनके साथ छेड़खानी की गई। वहीं पुलिस ने दावा किया है कि नववर्ष की पूर्व संध्या पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। 1,500 पुलिस कर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया, सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस, सिटी आर्म्ड रिजर्व कर्मियों को तैनात किया गया था और निगरानी टावर बनाए गए थे। लेकिन इसके बावजूद भी यह घटना हुई। कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश ने कहा, ‘‘हम आरोपियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का प्रयत्न करेंगे।’’ वहीं पुलिस ने कहा कि किसी ने भी उसके पास छेड़खानी की शिकायत दर्ज नहीं कराई।
वहीं राज्य के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए युवाओं के रहन-सहन के ‘‘पश्चिमी तौर-तरीकों’’ को जिम्मेदार बताकर और नया विवाद खड़ा कर दिया। एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, “दुर्भाग्यवश, जो हो रहा है, जैसा कि मैंने कहा था, नए साल जैसे दिन पर ब्रिगेड रोड, कमर्शियल स्ट्रीट, एमजी रोड पर बड़ी संख्या में युवा जमा होते हैं। युवा, जो लगभग पश्चिमी रंग में रंगे हैं, पश्चिम के लोगों की नकल करने की कोशिश करते हैं, न सिर्फ सोच-विचार में बल्कि कपड़े पहनने के तरीके में भी।“
गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने जोर देकर कहा कि बेंगलुरु शहर पूरी तरह ‘सेफ’ है और ऐसी घटना दोबारा न हो इसके लिए पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है, इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं। हमने २5 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरा लगाए थे और उसकी जांच होगी। बेंगलुरु सुरक्षित है, ऐसी घटना हुई इसका मतलब यह नहीं है कि यह शहर सेफ नहीं है। हमारे अधिकारी दोषियों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी घटना दोबारा न हो, इसकी पूरी कोशिश की जा रही है। नए साल और क्रिसमस पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। हम काफी अहतियात बरतते हैं।’
गृहमंत्री की टिप्पणी पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उनसे इस्तीफे की मांग करते हुए ऐसे बयान पर देश की महिलाओं से माफी मांगने को कहा। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने कहा, “गृहमंत्री द्वारा ऐसा बयान कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। मैं इस मंत्री से सवाल करना चाहती हूं कि क्या भारतीय पुरुष इतने गिरे हुए और कमजोर हैं कि किसी समारोह के दौरान महिलाओं को पश्चिमी कपड़ों में देखकर बेकाबू हो जाते हैं। मंत्री को देश की महिलाओं से माफी मांगकर इस्तीफा दे देना चाहिए।“ ललिता कुमारमंगलम ने कहा, “हम (घटना को लेकर) सकते में हैं। हमने इस पर स्वतः संज्ञान लिया और यही हमने गृहमंत्री, प्रदेश पुलिस प्रमुख और मुख्य सचिव को भी भेजा है।“
यह चिन्ता का विषय है कि हर वर्ष महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी होती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में प्रतिदिन लगभग 50 बलात्कार के मामले थानों में पंजीकृत होते हैं। बहुत सारे मामलों की रिपोर्ट ही नहीं हो पाती। ऐसी दशा में बेंगलुरु जैसी घटना को हल्के ढंग से नहीं लिया जा सकता। दुख है कि समाज की मानसिक प्रवृत्ति इसे रोजमर्रा की मामूली घटना के रूप में लेने की बनती जा रही है। यदि राजनीतिक विरोध या प्रतिरोध सामने न आए तो शायद सामाजिक प्रतिरोध कहीं दिखाई ही नहीं देगा। यह स्थिति अत्यंत चिन्ताजनक है कि महिलाओं के साथ अभद्रता को घिनौना अपराध मानने की बजाए जनप्रतिनिधि घटना के बेहूदे विश्लेषण जुट जाते हैं। कोई लड़की के पहनावे को दोषी ठहराता है तो कोई उसके अकेले घर से बाहर निकलने के प्रति उंगली उठाता है। इस पर भी तसल्ली नहीं होती है तो ‘‘लड़कों से भूल हो जाती है’’ जैसा बयान दे दिया जाता है।
निर्भया कांड के अपराधियों की सजा के संबंध में सुझाव देने के लिए गठित की गई जस्टिस जे.एस. वर्मा समिति ने यह महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया था कि बेतुके बयान देने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता तत्काल खत्म कर दी जानी चाहिए। समिति के इस सुझाव पर अमल नहीं किया गया। न ही समाज के सोच में भी कोई बदलाव नहीं आया। जबकि सामाज के बहुमुखी विकास के लिए ऐसी रुग्ण मानसिकता का बदलना जरूरी है।
इसी संदर्भ में मुझे अपनी ये पंक्तियां याद आ रही हैं -
अब नहीं और सहा जाएगा
अब नहीं और रहा जाएगा
अस्मतें लूटने वालों को सबक सिखला दो
वरना हर शख्स नकारा ही कहा जाएगा।
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